वक्फ संशोधन कानून के तीन प्रावधानों पर रोक बोर्ड में गैर मुस्लिमों की संख्या पर प्रतिबंध समाप्त और कलेक्टर नहीं कर सकेंगे संपत्ति सर्वे
वक्फ बोर्ड से संबंधित एक हालिया अदालती फैसले ने तीन महत्वपूर्ण संशोधनों पर रोक लगा दी है, जिससे कानूनी और राजनीतिक गलियारों में बहस छिड़ गई है। यह फैसला वक्फ बोर्ड के संचालन और इसकी संपत्ति के सर्वेक्षण से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को छूता है।
पहला संशोधन: इस फैसले में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या पर लगी सीमा को चुनौती दी गई थी। पहले के नियम के अनुसार, बोर्ड में तीन से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते। इस संशोधन पर रोक लगाकर कोर्ट ने इस मुद्दे पर फिर से विचार करने का संकेत दिया है।
दूसरा संशोधन: वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 6(1) के अनुसार, वक्फ संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में मान्यता देने के लिए, दस्तावेजों में इस्लाम धर्म का पालन कम से कम पांच साल तक करना जरूरी था। कोर्ट ने इस शर्त पर भी रोक लगा दी है। यह फैसला वक्फ की परिभाषा और उसके दायरे को और व्यापक बना सकता है। इससे उन लोगों को भी फायदा हो सकता है जिन्होंने धार्मिक अनुष्ठान के लिए संपत्ति दी है लेकिन वे नियमित रूप से इस्लाम का पालन नहीं करते हैं।
तीसरा संशोधन: कोर्ट ने जिला कलेक्टर को वक्फ संपत्ति का सर्वेक्षण करने का अधिकार देने वाले नियम पर भी रोक लगा दी है। इससे यह बात स्पष्ट होती है कि भविष्य में वक्फ संपत्ति का सर्वेक्षण केवल वक्फ बोर्ड के अधिकारियों या आयुक्त द्वारा ही किया जाएगा, न कि जिला कलेक्टर द्वारा। यह फैसला वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता बनाए रखने में मदद कर सकता है।
इन तीनों संशोधनों पर लगी रोक राजनीतिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील मुद्दे हैं। इन फैसलों से वक्फ बोर्ड के संचालन और संपत्ति के विवादों पर लंबे समय तक प्रभाव पड़ सकता है। इस फैसले ने भारत में धार्मिक संस्थाओं के संचालन और सरकारी नियमन के बीच के संबंधों पर एक नई बहस छेड़ दी है।