चांदी वायदा में 6% की उछाल, भारत में ₹2.54 लाख प्रति किलो का रिकॉर्ड स्तर
कमोडिटी बाजार में चांदी ने एक नया इतिहास रच दिया है। घरेलू वायदा बाजार में चांदी की कीमतों में करीब 6 प्रतिशत की जबरदस्त तेजी दर्ज की गई, जिससे यह ₹2.54 लाख प्रति किलो के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। इसी के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी चांदी ने $80 प्रति औंस का अहम स्तर पार कर लिया, जिसने निवेशकों और विश्लेषकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
चांदी की इस तेज़ी के पीछे कई वैश्विक और घरेलू कारण माने जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर डॉलर, भू-राजनीतिक तनाव, और सुरक्षित निवेश विकल्पों की बढ़ती मांग ने कीमती धातुओं को मजबूती दी है। सोने के साथ-साथ चांदी भी निवेशकों की पसंदीदा सुरक्षित संपत्ति बनकर उभरी है, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
घरेलू बाजार की बात करें तो मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर चांदी वायदा ने नया रिकॉर्ड बनाते हुए ₹2.54 लाख प्रति किलो का स्तर छू लिया। यह उछाल एक ही सत्र में करीब 6 प्रतिशत की बढ़त के साथ आया, जिसे हाल के वर्षों की सबसे बड़ी तेजी में से एक माना जा रहा है। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, यह तेजी सिर्फ सट्टा गतिविधियों का नतीजा नहीं है, बल्कि मजबूत फंडामेंटल्स का भी असर है।
वैश्विक बाजार में चांदी का $80 प्रति औंस के पार जाना भी एक बड़ा संकेत माना जा रहा है। आमतौर पर चांदी की कीमतें सोने की तुलना में अधिक अस्थिर होती हैं, लेकिन इस बार तेजी व्यापक और टिकाऊ नजर आ रही है। विश्लेषकों का कहना है कि औद्योगिक मांग में सुधार और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में चांदी के बढ़ते उपयोग ने इसकी कीमतों को समर्थन दिया है।
चांदी का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों, सोलर पैनल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में बड़े पैमाने पर होता है। जैसे-जैसे दुनिया स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ रही है, वैसे-वैसे चांदी की मांग में भी इजाफा हो रहा है। इसके साथ ही खनन उत्पादन में सीमित वृद्धि और सप्लाई चेन से जुड़ी चुनौतियों ने बाजार में आपूर्ति का दबाव बनाए रखा है।
निवेशकों के बीच भी चांदी को लेकर उत्साह बढ़ा है। कई निवेशक इसे सोने की तुलना में बेहतर रिटर्न देने वाला विकल्प मान रहे हैं, खासकर तब जब चांदी अभी भी ऐतिहासिक रूप से सोने के मुकाबले सस्ती मानी जाती है। यही कारण है कि फंड मैनेजर और रिटेल निवेशक दोनों ही चांदी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञ सावधानी बरतने की सलाह भी दे रहे हैं। उनका कहना है कि इतनी तेज़ बढ़त के बाद मुनाफावसूली देखने को मिल सकती है, जिससे कीमतों में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव संभव है। इसके बावजूद, लंबी अवधि के दृष्टिकोण से चांदी की मांग मजबूत बनी रह सकती है, खासकर यदि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता बनी रहती है।
सरकारों की मौद्रिक नीतियां भी कीमती धातुओं की कीमतों को प्रभावित कर रही हैं। यदि ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें मजबूत होती हैं, तो चांदी और सोने जैसी संपत्तियों में और तेजी देखी जा सकती है। इसके उलट, सख्त मौद्रिक नीति कीमतों पर दबाव बना सकती है।
भारतीय बाजार में चांदी की कीमतों में आई इस रिकॉर्ड तेजी का असर ज्वैलरी उद्योग और औद्योगिक उपयोग पर भी पड़ सकता है। ऊंची कीमतों के चलते मांग पर कुछ समय के लिए असर पड़ सकता है, लेकिन निवेश मांग इसे संतुलित बनाए रख सकती है। शादी-विवाह के मौसम में ज्वैलर्स स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए हैं।
कुल मिलाकर, चांदी की कीमतों में आई यह ऐतिहासिक उछाल कमोडिटी बाजार के लिए एक बड़ा घटनाक्रम है। घरेलू और वैश्विक दोनों ही बाजारों में मजबूत रुझान यह संकेत देते हैं कि निवेशकों का भरोसा कीमती धातुओं पर बना हुआ है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या चांदी इस स्तर पर टिक पाती है या इसमें और नई ऊंचाइयां देखने को मिलती हैं। फिलहाल इतना तय है कि चांदी ने निवेशकों को चौंकाते हुए बाजार में अपनी चमक बिखेर दी है।