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छोटा टेस्ट क्रिकेट के लिए खराब कारोबार: 20 विकेट गिरने पर क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया प्रमुख की चिंता

टेस्ट क्रिकेट को लंबे समय तक धैर्य, रणनीति और कौशल की परीक्षा माना जाता रहा है, लेकिन हाल के दिनों में तेजी से खत्म हो रहे टेस्ट मैचों ने इस पारंपरिक प्रारूप को लेकर नई बहस छेड़ दी है। इसी कड़ी में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख ने एक टेस्ट मैच के दौरान एक ही दिन में 20 विकेट गिरने के बाद चिंता जाहिर करते हुए कहा कि “इतना छोटा टेस्ट क्रिकेट के लिए खराब कारोबार है।”

यह बयान उस मुकाबले के बाद आया, जिसमें पिच और परिस्थितियों ने गेंदबाज़ों को असाधारण मदद दी और बल्लेबाज़ टिक ही नहीं सके। दर्शकों ने उम्मीद की थी कि टेस्ट मैच कम से कम चार-पांच दिन चलेगा, लेकिन दो दिन से भी कम समय में नतीजा निकल आया। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया बॉस का मानना है कि ऐसे मुकाबले न केवल खेल की संतुलन भावना पर सवाल उठाते हैं, बल्कि व्यावसायिक रूप से भी नुकसानदेह साबित होते हैं।

उनका कहना था कि टेस्ट क्रिकेट की खूबसूरती उसकी लंबाई और उतार-चढ़ाव में छिपी होती है। जब मैच बहुत जल्दी खत्म हो जाता है, तो दर्शकों, ब्रॉडकास्टर्स और स्पॉन्सर्स सभी को नुकसान होता है। टिकट खरीदने वाले फैंस पूरे अनुभव से वंचित रह जाते हैं, जबकि टीवी दर्शकों को भी अधूरा रोमांच मिलता है।

एक ही दिन में 20 विकेट गिरना इस बात का संकेत माना जा रहा है कि पिच ने खेल का संतुलन बिगाड़ दिया। हालांकि कुछ क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि गेंदबाज़ों का दबदबा भी टेस्ट क्रिकेट का हिस्सा है, लेकिन जब बल्लेबाज़ों के लिए कोई मौका ही न बचे, तो यह चिंता का विषय बन जाता है। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया प्रमुख ने भी यही बात दोहराई कि पिच को गेंद और बल्ले के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि टेस्ट क्रिकेट पहले ही सीमित ओवरों के प्रारूपों और फ्रेंचाइज़ी लीग्स से कड़ी प्रतिस्पर्धा झेल रहा है। ऐसे में यदि टेस्ट मैच लगातार दो या तीन दिन में खत्म होने लगें, तो दर्शकों की रुचि और कम हो सकती है। इससे खेल की लोकप्रियता और आर्थिक स्थिरता दोनों पर असर पड़ सकता है।

हाल के वर्षों में यह देखा गया है कि कई टेस्ट मैच अपेक्षा से काफी जल्दी समाप्त हो रहे हैं। कभी तेज़ और उछाल भरी पिचें बल्लेबाज़ों के लिए मुश्किल बन जाती हैं, तो कभी अत्यधिक सीम और स्विंग मैच को एकतरफा बना देते हैं। क्रिकेट प्रशासकों के सामने अब यह चुनौती है कि वे रोमांच और संतुलन के बीच सही तालमेल कैसे बैठाएं।

क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया बॉस ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य गेंदबाज़ों की भूमिका को कम आंकना नहीं है। उन्होंने गेंदबाज़ों की कला और मेहनत की सराहना की, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि टेस्ट क्रिकेट तभी टिकाऊ रहेगा, जब दोनों विभागों को समान मौका मिले। उनके अनुसार, चार से पांच दिन तक चलने वाला मुकाबला ही टेस्ट क्रिकेट की असली पहचान है।

इस बयान के बाद क्रिकेट जगत में बहस तेज़ हो गई है। कुछ पूर्व खिलाड़ियों ने इस चिंता से सहमति जताई, जबकि कुछ का मानना है कि खिलाड़ियों की तकनीक और मानसिकता में बदलाव की भी जरूरत है। उनका तर्क है कि आधुनिक क्रिकेट में बल्लेबाज़ अधिक आक्रामक हो गए हैं, जिससे विकेट जल्दी गिरते हैं।

व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी यह मुद्दा अहम है। टेस्ट क्रिकेट की मेज़बानी करने वाले बोर्ड्स को स्टेडियम, सुरक्षा, प्रसारण और संचालन पर भारी खर्च करना पड़ता है। जब मैच तय समय से बहुत पहले खत्म हो जाता है, तो राजस्व पर सीधा असर पड़ता है। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया प्रमुख ने इसी संदर्भ में “खराब कारोबार” शब्द का इस्तेमाल किया।

आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्रिकेट प्रशासक इस चुनौती से कैसे निपटते हैं। क्या पिचों की तैयारी पर नए दिशा-निर्देश आएंगे, या खिलाड़ियों की तकनीकी तैयारी पर ज़ोर दिया जाएगा? फिलहाल इतना तय है कि टेस्ट क्रिकेट के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए संतुलन बेहद ज़रूरी है।

कुल मिलाकर, एक दिन में 20 विकेट गिरने वाला टेस्ट मैच भले ही रोमांचक लगे, लेकिन क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया बॉस के बयान ने यह साफ कर दिया है कि बहुत छोटा टेस्ट क्रिकेट के दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है। टेस्ट क्रिकेट की आत्मा उसकी लंबाई, संघर्ष और कहानी में है, जिसे बनाए रखना आज के दौर में सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है।