बैंकिंग क्षेत्र में बड़ा बदलाव चेक क्लियरेंस सिस्टम हुआ तेज: ग्राहकों को मिलेगी बड़ी राहत पुराने दो दिन का इंतजार अब खत्म
बैंक ग्राहकों के लिए यह एक बड़ी राहत भरी खबर है। अब तक चेक क्लियर होने में जो दो दिन का समय लगता था वह अब खत्म होने जा रहा है। देश के प्रमुख बैंकों ने कल से कुछ ही घंटों में चेक क्लियर करने के लिए एक नए रैपिड क्लियरेंस सिस्टम (Rapid Clearance System) का ट्रायल आज से शुरू कर दिया है। इस नई प्रणाली के सफलतापूर्वक लागू होने के बाद, ग्राहकों को अपने चेक का पैसा प्राप्त करने के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा, जिससे बैंकिंग लेनदेन की गति और दक्षता में भारी सुधार होगा। इस कदम से डिजिटल पेमेंट के जमाने में भी चेक का इस्तेमाल करने वाले लोगों को त्वरित लाभ मिलेगा।
वर्तमान में, जब कोई ग्राहक चेक जमा करता है, तो उसे क्लियर होने में आमतौर पर टी+२ यानी ट्रांजैक्शन के दिन के अलावा दो कार्यदिवस (Working Days) का समय लगता है। यह देरी मुख्य रूप से चेक को एक बैंक से दूसरे बैंक में फिजिकल या स्कैनिंग के माध्यम से भेजने और सत्यापन (Verification) की लंबी प्रक्रिया के कारण होती थी। इस पुराने सिस्टम के चलते कई बार इमरजेंसी में पैसों की जरूरत होने पर ग्राहकों को असुविधा का सामना करना पड़ता था। बैंकों द्वारा शुरू किया गया यह नया सिस्टम चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) का ही एक उन्नत संस्करण (Advanced Version) है, जिसे और अधिक तेज और कुशल बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
नया रैपिड क्लियरेंस सिस्टम मुख्य रूप से टेक्नोलॉजी के बेहतर इस्तेमाल और इंटरबैंक सेटलमेंट की प्रक्रिया को स्वचालित (Automated) और प्राथमिकता (Prioritized) देने पर आधारित है। ट्रायल के दौरान बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि चेक जमा होते ही उसका हाई रिजॉल्यूशन डिजिटल इमेज तुरंत भुगतानकर्ता बैंक (Payer Bank) तक पहुंचे और भुगतान की मंजूरी तुरंत मिल जाए। इसका सीधा अर्थ यह है कि बैंक अब दिन में एक बार के बजाय कई बार क्लियरेंस प्रक्रिया को अंजाम देंगे। यह मल्टीपल क्लियरिंग साइकल ग्राहकों को दोपहर तक जमा किए गए चेक का पैसा उसी दिन शाम तक या अगले कुछ घंटों में मिलने की सुविधा प्रदान कर सकता है। हालांकि, शुरुआत में यह सुविधा शायद केवल हाई वैल्यू चेक या चुनिंदा मेट्रो शहरों के लिए ही लागू हो सकती है, लेकिन धीरे-धीरे इसे पूरे देश में विस्तारित किया जाएगा।
इस नए सिस्टम का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि व्यावसायिक लेनदेन (Business Transactions) और बड़े भुगतान अब तुरंत पूरे हो सकेंगे, जिससे कारोबार में पूंजी का प्रवाह (Cash Flow) बेहतर होगा। ग्राहकों के लिए, यह न केवल समय की बचत करेगा बल्कि चेक बाउंस होने के जोखिम को भी कम करने में मदद करेगा, क्योंकि क्लियरेंस की गति बढ़ने से खाते में पर्याप्त राशि की पुष्टि जल्दी हो जाएगी। यह पहल भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के उस लक्ष्य के अनुरूप है जिसमें देश की भुगतान प्रणालियों को और अधिक आधुनिक, तेज और सुरक्षित बनाना शामिल है। एक बार सफलतापूर्वक लागू होने के बाद, यह भारत में चेक क्लियरेंस के तरीके को पूरी तरह से बदल देगा और ग्राहकों को बेजोड़ सुविधा प्रदान करेगा।