धनतेरस से पहले सोने चांदी ने तोड़े सारे रिकॉर्ड: दोनों कीमती धातुएं ऑलटाइम हाई पर, निवेशकों की बढ़ी चिंता
भारतीय सर्राफा बाजार में पुष्य नक्षत्र और धनतेरस जैसे शुभ त्योहारों से ठीक पहले सोने और चांदी की कीमतों ने एक नया ऐतिहासिक रिकॉर्ड स्थापित किया है। बाजार में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है, जिसके चलते दोनों ही कीमती धातुएं अपने ऑलटाइम हाई (सर्वकालिक उच्च) स्तर पर पहुँच गई हैं। इस उछाल ने जहाँ निवेशकों को उत्साहित किया है, वहीं आम खरीदारों और उपभोक्ताओं के लिए चिंता बढ़ा दी है।
बुधवार को बाजार बंद होने के बाद, गुरुवार को जारी हुई नई कीमतों के अनुसार, सोना एक ही दिन में ₹2,244 प्रति 10 ग्राम (GST रहित 24 कैरेट) महंगा हो गया है। इस भारी वृद्धि के बाद सोने की कीमत ₹1,23,000 के ऐतिहासिक आंकड़े को पार कर गई है। यह पहली बार है जब सोने की कीमत ने इस मनोवैज्ञानिक सीमा को छुआ है, जो भारतीय सर्राफा इतिहास का एक महत्वपूर्ण क्षण है। सोने के साथ-साथ चांदी की चमक भी अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है। चांदी की कीमत में ₹8,625 प्रति किलोग्राम का रिकॉर्ड तोड़ उछाल दर्ज किया गया है। इस उछाल के बाद चांदी की कीमत भी ₹1,73,000 प्रति किलोग्राम के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुँच गई है।
कीमतों में इस तीव्र उछाल के पीछे मुख्य रूप से वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और अंतर्राष्ट्रीय भू राजनीतिक तनाव को जिम्मेदार माना जा रहा है। जब वैश्विक अर्थव्यवस्था अस्थिर होती है, तो निवेशक सुरक्षित निवेश (सेफ हेवन) की तलाश में सोने और चांदी जैसी कीमती धातुओं की ओर रुख करते हैं। मध्य पूर्व में चल रहे संघर्ष और बढ़ती महंगाई की चिंताओं ने डॉलर को कमजोर किया है, जिसके परिणामस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में गोल्ड और सिल्वर की मांग और कीमत में भारी वृद्धि हुई है। इसके अलावा, भारत में आने वाले त्योहारी सीजन, विशेष रूप से पुष्य नक्षत्र और धनतेरस के कारण भौतिक मांग (Physical Demand) में भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। भारतीय परंपरा के अनुसार इन शुभ अवसरों पर सोना खरीदना बहुत शुभ माना जाता है, जिससे घरेलू बाजार में कीमतों को अतिरिक्त बल मिला है।
विशेषज्ञों का मानना है कि निकट भविष्य में भी सोने और चांदी की कीमतों में नरमी आने की संभावना कम है। जब तक वैश्विक स्तर पर आर्थिक स्थिरता बहाल नहीं होती और भू-राजनीतिक जोखिम कम नहीं होते, तब तक इन धातुओं का ऑलटाइम हाई का सफर जारी रह सकता है। इस महा तेजी ने उन उपभोक्ताओं के बजट को बुरी तरह प्रभावित किया है जो त्योहारों के लिए या शादियों के लिए सोने चांदी की खरीदारी की योजना बना रहे थे। वहीं, जिन निवेशकों ने पहले ही इन धातुओं में निवेश किया था, उन्हें रिकॉर्ड तोड़ रिटर्न मिला है।
यह उछाल न केवल बाजार के लिए, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि सोना भारतीय घरों में निवेश का एक अभिन्न अंग माना जाता है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि पुष्य नक्षत्र और धनतेरस तक सोने चांदी की कीमतें किस स्तर पर स्थिर होती हैं, और क्या ये कीमतें 2 लाख रुपये प्रति किलोग्राम (चांदी) और 1.50 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम (सोना) की सीमा को भी पार कर सकती हैं। यह निश्चित रूप से भारतीय सर्राफा बाजार के इतिहास का एक यादगार दौर है।