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आर्थिक उतार चढ़ाव का असर: भारत के शीर्ष १०० अमीरों की नेटवर्थ में ₹९ लाख करोड़ की गिरावट मुकेश अंबानी बने रहे देश के सबसे धनी व्यक्ति

हाल ही में जारी हुई फोर्ब्स इंडिया की रिच लिस्ट ने भारत के धनकुबेरों की संपत्ति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाया है। इस वर्ष, देश के १०० सबसे अमीर व्यक्तियों की कुल संपत्ति (नेटवर्थ) में सामूहिक रूप से गिरावट दर्ज की गई है। पिछले साल यह संपत्ति ₹९७ लाख करोड़ (लगभग $१.१७ ट्रिलियन) थी, जो अब घटकर ₹८८ लाख करोड़ (लगभग $१.०६ ट्रिलियन) हो गई है। यह ₹९ लाख करोड़ की कमी भारतीय अर्थव्यवस्था और विशेष रूप से शेयर बाजार की अस्थिरता का सीधा परिणाम मानी जा रही है।


इस गिरावट के बावजूद, रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने देश के सबसे अमीर व्यक्ति का अपना स्थान बरकरार रखा है। अंबानी लगातार कई वर्षों से इस सूची में शीर्ष पर बने हुए हैं, जो उनके व्यापारिक साम्राज्य की मजबूत स्थिति को दर्शाता है। हालांकि, शेयर बाजार और वैश्विक आर्थिक माहौल में उतार चढ़ाव के कारण उनकी संपत्ति पर भी आंशिक प्रभाव पड़ा है। इस सूची में शीर्ष स्थानों पर रहने वाले अन्य प्रमुख नामों में गौतम अदानी और उनके समूह के प्रमुख उद्योगपति भी शामिल हैं, हालांकि उनकी संपत्ति में भी पिछले वर्ष की तुलना में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिले हैं।


फोर्ब्स इंडिया की यह सूची दर्शाती है कि पिछले वर्ष भारतीय शेयर बाजारों में आई अस्थिरता ने कई बड़े उद्योगपतियों की संपत्ति पर नकारात्मक असर डाला है। विशेष रूप से उन क्षेत्रों से जुड़े उद्योगपतियों को झटका लगा है जिनके शेयर उच्च मूल्यांकन पर थे और जिनमें बाद में तेज गिरावट आई। तकनीकी और स्टार्टअप क्षेत्र के कुछ उद्यमियों की नेटवर्थ में भी कमी आई है, जो वैश्विक मंदी की आशंकाओं से प्रभावित थे।


हालांकि, यह गिरावट सामूहिक है, लेकिन सूची में कई ऐसे नए नाम भी शामिल हुए हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी संपत्ति में वृद्धि दर्ज की है। ये उद्यमी मुख्य रूप से फार्मास्यूटिकल्स, इंफ्रास्ट्रक्चर और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों से संबंधित हैं, जिन्हें सरकार की नीतियों और मजबूत घरेलू मांग का लाभ मिला है। फोर्ब्स इंडिया की यह लिस्ट न केवल अमीरों की संपत्ति का लेखा जोखा प्रस्तुत करती है, बल्कि यह भी बताती है कि देश में धन सृजन की प्रक्रिया किन क्षेत्रों में केंद्रित हो रही है।


कुल संपत्ति में आई यह गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक चेतावनी का संकेत हो सकती है, लेकिन यह भी सच है कि भारत का आर्थिक आधार मजबूत बना हुआ है। देश के सबसे अमीर व्यक्तियों की कुल संपत्ति का ₹८८ लाख करोड़ होना अभी भी एक बड़ी उपलब्धि है और यह भारत की बढ़ती आर्थिक शक्ति को प्रदर्शित करता है। आने वाले वर्षों में, यदि शेयर बाजार और वैश्विक आर्थिक माहौल में सुधार होता है, तो यह नेटवर्थ फिर से ₹१०० लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर सकती है।