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संसद का शीतकालीन सत्र लाइव: सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा को तैयार, विपक्ष से बातचीत के संकेत भी

संसद का शीतकालीन सत्र हर बार की तरह इस बार भी राजनीतिक हलचल और तीखे आरोप-प्रत्यारोप के साथ शुरू हुआ, लेकिन पहले ही दिन सरकार की ओर से एक अहम संकेत दिया गया। सरकार ने स्पष्ट किया कि वह सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है और विपक्ष के साथ संवाद के लिए भी खुली है। यह संदेश उस समय आया है जब कई विधेयक, आर्थिक मुद्दे और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विषय सत्र के एजेंडा में हैं।

संसदीय कार्य मंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार बहस से कभी पीछे नहीं हटती और वह चाहती है कि हर मुद्दे पर खुलकर, तथ्यों के आधार पर चर्चा हो। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष अगर रचनात्मक सुझाव लेकर आता है तो सरकार उन्हें सुनने के लिए सदैव तैयार है। यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले कुछ सत्रों में विपक्ष और सरकार के बीच कई बार टकराव, नारेबाज़ी और कार्यवाही बाधित होने जैसी स्थितियाँ बनी थीं।

दूसरी ओर, विपक्षी दलों ने भी इस सत्र के लिए अपनी रणनीति तैयार कर ली है। महंगाई, बेरोज़गारी, कृषि क्षेत्र की चुनौतियाँ, चीन सीमा विवाद और आर्थिक नीतियाँ ऐसे प्रमुख मुद्दे हैं जिन पर विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी में है। विपक्ष के नेताओं का कहना है कि सरकार बड़े वादे तो करती है, लेकिन उन्हें जमीन पर लागू करने में कमी रह जाती है, और यही बात वे संसद में उठाना चाहते हैं।

हालांकि, सरकार का रुख इस बार अपेक्षाकृत सकारात्मक दिखाई दे रहा है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सरकार संवाद का रास्ता इसलिए अपना रही है क्योंकि वह चाहती है कि प्रमुख विधेयक बिना बाधा पास हों और सत्र सुचारु रूप से चले। साथ ही, चुनावी साल पास होने के कारण सरकार नहीं चाहती कि संसद में उसके खिलाफ कोई नकारात्मक संदेश जाए।

सत्र की शुरुआत में ही लोकसभा और राज्यसभा में कई मुद्दे उठे। कुछ विपक्षी सांसदों ने नियम 267 और नियम 193 के तहत तत्काल चर्चा की मांग रखी, जबकि सरकार ने कहा कि सभी विषय तय प्रक्रिया के अनुसार लिए जाएंगे। संसदीय परंपरा के अनुसार दोनों सदनों में नए मंत्रियों और सदस्यों का औपचारिक परिचय भी कराया गया।

राज्यसभा में भी वातावरण कुछ गर्म रहा। कुछ सदस्यों ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर चिंता जताई, जबकि कुछ ने बेरोज़गारी और शिक्षा क्षेत्र की समस्याओं पर ध्यान दिलाया। सभापति ने सभी दलों से अनुरोध किया कि सत्र को उत्पादक बनाने के लिए सहयोग करें।

इसी बीच यह भी संकेत मिला कि सरकार विपक्षी नेताओं से अनौपचारिक बातचीत करने को तैयार है, ताकि सत्र के दौरान किसी बड़े गतिरोध को टाला जा सके। यह कदम सत्र को सकारात्मक दिशा देने का प्रयास माना जा रहा है।

सत्र अभी लंबा है और कई अहम विधेयक इसमें शामिल हैं, जिनमें डिजिटल सुरक्षा, आर्थिक सुधार और सामाजिक कल्याण से जुड़े प्रस्ताव प्रमुख हैं। अब देखने वाली बात होगी कि सरकार और विपक्ष के सहयोग से संसद कितनी उत्पादक बन पाती है।