नासा इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) उपग्रह का मिशन में महत्वपूर्ण पड़ाव: अंतिम विज्ञान संचालन चरण में प्रवेश करने का अर्थ और इसके निहितार्थ
नासा इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) नामक महत्वपूर्ण पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ने हाल ही में अपने मिशन के एक महत्वपूर्ण पड़ाव, अंतिम विज्ञान संचालन चरण (Final Science Operations Phase) में प्रवेश कर लिया है। यह घोषणा भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिका की नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के बीच एक संयुक्त परियोजना की सफलता को चिह्नित करती है। निसार उपग्रह दुनिया को एक अभूतपूर्व विस्तार और सटीकता के साथ ग्रह की सतह में हो रहे परिवर्तनों का अध्ययन करने में मदद करेगा। इस चरण में प्रवेश करने का अर्थ है कि उपग्रह अब उन दीर्घकालिक, व्यापक डेटा सेटों को उत्पन्न करने के लिए पूरी तरह से तैयार है जिनके लिए इसे डिजाइन किया गया था।
'अंतिम विज्ञान संचालन चरण' में प्रवेश करने का मतलब है कि निसार ने अपने प्रक्षेपण के बाद के सभी शुरुआती परीक्षण, अंशांकन (Calibration) और कमीशनिंग प्रक्रियाओं को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इस प्रक्रिया में उपग्रह के सभी जटिल उपकरणों, विशेष रूप से सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) पेलोड को अंतरिक्ष वातावरण में उनके इष्टतम प्रदर्शन के लिए ट्यून किया गया था। अब, निसार नियमित रूप से और लगातार पृथ्वी की सतह के डेटा संग्रह को अंजाम देगा। यह चरण वैज्ञानिकों को कई वर्षों तक ग्रह के क्रस्ट, बर्फ की चादरों और पारिस्थितिक तंत्रों में होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों की निगरानी करने में सक्षम बनाएगा।
निसार की सबसे बड़ी ताकत इसकी दोहरी आवृत्ति वाली एसएआर (SAR) तकनीक है, जो एल बैंड और एस बैंड आवृत्तियों का उपयोग करती है। यह दोहरी क्षमता बादलों और कोहरे को भेदकर दिन और रात, दोनों समय, उच्च रिज़ॉल्यूशन वाली छवियां प्राप्त करने की अनुमति देती है। यह रडार तकनीक पृथ्वी की सतह की हर मिलीमीटर की गति को मापने में सक्षम है, जिससे भूकंप, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से पहले के और बाद के परिवर्तनों को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है। उपग्रह का डिजाइन इसे हर १२ दिनों में दुनिया के हर हिस्से को स्कैन करने की अनुमति देता है।
निसार से प्राप्त होने वाले डेटा का उपयोग कई महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों में किया जाएगा। यह वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, जैसे कि ध्रुवीय क्षेत्रों में ग्लेशियरों के पिघलने की दर और समुद्री जल स्तर में वृद्धि, की निगरानी करेगा। साथ ही, यह कृषि और वन प्रबंधन में भी सहायक होगा, जिससे फसलों के स्वास्थ्य, मिट्टी की नमी और वनों के आवरण में बदलाव को ट्रैक किया जा सकेगा। यह उपग्रह डेटा भारतीय और अमेरिकी, दोनों तरह के वैज्ञानिकों के लिए आपदाओं के खिलाफ तैयारी और प्रतिक्रिया रणनीतियों को मजबूत करने में अत्यंत सहायक सिद्ध होगा।
निसार का अंतिम विज्ञान संचालन चरण जलवायु विज्ञान और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में एक नए अध्याय की शुरुआत करता है। नासा और इसरो का यह महत्वाकांक्षी संयुक्त मिशन पृथ्वी को समझने और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक दीर्घकालिक, विश्वसनीय डेटा प्रदान करने के लिए तैयार है। यह एक वैश्विक संपत्ति है जो हमारे ग्रह के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करेगी।