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अयोध्या राम मंदिर के शिखर पर भगवा धर्म ध्वज का आरोहण: प्रधानमंत्री मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की उपस्थिति में निर्माण कार्य की पूर्णता का प्रतीकात्मक उत्सव

अयोध्या की रामनगरी एक बार फिर इतिहास की साक्षी बनी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शुभ विवाह पंचमी के अवसर पर राम जन्मभूमि मंदिर के 161 फीट ऊँचे मुख्य शिखर पर प्रतीकात्मक भगवा ध्वज फहराया। यह भव्य 'ध्वजारोहण' समारोह, जो अभिजीत मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच संपन्न हुआ, मंदिर के निर्माण कार्य की पूर्णता और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अगले बड़े पड़ाव का प्रतीक है। इस ऐतिहासिक क्षण में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सहित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य भी उपस्थित रहे। यह घटना करोड़ों रामभक्तों की आस्था और वर्षों के संघर्ष की परिणति के रूप में देखी जा रही है।


प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार, 25 नवंबर, 2025 को सुबह अयोध्या पहुंचे। एयरपोर्ट से मंदिर परिसर तक एक संक्षिप्त रोड शो के दौरान अयोध्यावासियों ने उनका जोरदार स्वागत किया, जहां लोगों ने भगवा ध्वज और तिरंगा दोनों फहराकर अपनी खुशी व्यक्त की। मंदिर परिसर में प्रवेश करने से पहले, प्रधानमंत्री ने सप्तमंदिर परिसर में महर्षि वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, वाल्मीकि, देवी अहिल्या, निषादराज गुह और माता शबरी से जुड़े मंदिरों के दर्शन किए। इसके बाद उन्होंने शेषावतार मंदिर और माता अन्नपूर्णा मंदिर में भी पूजा अर्चना की। इन दर्शनों ने राम मंदिर के व्यापक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को रेखांकित किया।


मुख्य समारोह दोपहर 12 बजे के आसपास हुआ। 10 फीट ऊंचे और 20 फीट लंबे त्रिकोणीय भगवा ध्वज को मंदिर के 'शिखर' पर फहराया गया। यह विशेष 'धर्म ध्वज' त्याग, समर्पण और राम राज्य के आदर्शों का संदेश देता है। ध्वज पर चमकते सूर्य का प्रतीक है, जो भगवान राम की प्रतिभा और वीरता को दर्शाता है, साथ ही 'ॐ' और कोविदार वृक्ष भी अंकित हैं। ध्वजारोहण के बाद, प्रधानमंत्री मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मंदिर के गर्भगृह में रामलला के दर्शन किए और विधिविधान से आरती में भाग लिया। इस अवसर पर, मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि यह दिन उन सभी राम भक्तों के लिए 'सार्थकता' का है जिन्होंने इस स्वप्न को साकार करने के लिए बलिदान दिया।


इस ध्वजारोहण को जनवरी 2024 में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद, राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया की एक 'पूर्णाहुति' के रूप में देखा जा रहा है। यह समारोह न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि सांस्कृतिक पुनरुत्थान और राष्ट्रीय एकता का एक मजबूत संदेश भी है। इस ऐतिहासिक घटना ने अयोध्या को एक बार फिर वैश्विक पटल पर स्थापित किया है। प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा उनकी उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि वह देश की सांस्कृतिक विरासत को सम्मान देते हैं और उसे आगे बढ़ाने के लिए समर्पित हैं। इस अवसर पर, मंदिर परिसर में केवल आमंत्रित मेहमानों को ही प्रवेश दिया गया था, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता बनी रही।


यह भगवा धर्म ध्वज अब राम मंदिर के शिखर पर स्थायी रूप से लहराएगा, जो सदियों से संजोए गए रामराज्य के मूल्यों और सनातन धर्म के गौरव का प्रतीक बनेगा। यह घटना भारतीय इतिहास में एक नया अध्याय लिखती है और देश के कोने कोने में उत्साह और भक्ति का संचार करती है।