क्यों अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लंबा करियर नहीं बना पाए अमित मिश्रा
भारतीय क्रिकेट टीम के अनुभवी लेग स्पिनर अमित मिश्रा ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास लेने की घोषणा की है। 41 वर्षीय मिश्रा लंबे समय से घरेलू क्रिकेट और इंडियन प्रीमियर लीग में सक्रिय थे, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने अपना आखिरी मैच साल 2017 में खेला था। इस तरह उनका दो दशकों से ज्यादा का क्रिकेट सफर अब आधिकारिक तौर पर समाप्त हो गया।
अमित मिश्रा का नाम भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक खास जगह रखता है। वे टेस्ट, वनडे और टी20 तीनों फॉर्मेट में भारत के लिए खेले और कई मौकों पर टीम को महत्वपूर्ण जीत दिलाई। उन्होंने 2003 में अपना अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू किया था और शुरुआती दौर से ही अपनी सटीक गेंदबाजी और निरंतरता के लिए पहचाने गए। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 76 विकेट चटकाए, जबकि वनडे और टी20 में भी उन्होंने अहम योगदान दिया।
मिश्रा का करियर खासतौर पर आईपीएल से जुड़ा रहा, जहां उन्होंने अपने प्रदर्शन से बड़ी पहचान बनाई। वे आज भी आईपीएल इतिहास में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों में शामिल हैं। उनकी खास उपलब्धि यह है कि वे लीग में तीन हैट्रिक लेने वाले इकलौते गेंदबाज हैं। यह रिकॉर्ड आज तक किसी और के पास नहीं है और यही उन्हें बाकी स्पिनरों से अलग बनाता है। दिल्ली कैपिटल्स, सनराइजर्स हैदराबाद और डेक्कन चार्जर्स जैसी टीमों के लिए खेलते हुए मिश्रा ने अपनी गेंदबाजी से कई मैचों का रुख पलटा।
उनका अंतरराष्ट्रीय करियर भले ही उतना लंबा या निरंतर न रहा हो, लेकिन जब भी उन्हें मौका मिला, उन्होंने भारतीय टीम के लिए योगदान दिया। वे लंबे समय तक अनिल कुंबले और हरभजन सिंह जैसे दिग्गज स्पिनरों की मौजूदगी में टीम का हिस्सा नहीं बन पाए, लेकिन घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में उनकी प्रतिभा हमेशा चमकती रही। उनके साथी खिलाड़ियों और कोचों ने अक्सर उन्हें मेहनती और समर्पित खिलाड़ी बताया है।
अमित मिश्रा का संन्यास भारतीय क्रिकेट के लिए एक युग के अंत जैसा है। उनकी उपलब्धियां आने वाले युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेंगी। मिश्रा ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने क्रिकेट से बहुत कुछ सीखा है और अब समय आ गया है कि वे खेल को अलविदा कहें और भविष्य में नई भूमिका तलाशें। माना जा रहा है कि वे कोचिंग या कमेंट्री से जुड़े अवसरों की ओर रुख कर सकते हैं।