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रिलायंस की नई विकास रणनीति

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड आज अपनी 48वीं एनुअल जनरल मीटिंग आयोजित करने जा रही है। उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक में कंपनी अपने दो बड़े कारोबारों, जियो और रिलायंस रिटेल, के आईपीओ का ऐलान कर सकती है। निवेशकों और बाजार विश्लेषकों की नजर इस बैठक पर टिकी हुई है क्योंकि यह भारत की सबसे बड़ी कंपनी की आगामी विकास रणनीति और पूंजी जुटाने की योजना का खाका पेश करेगी।


पिछले छह महीनों में रिलायंस का शेयर करीब 15 प्रतिशत चढ़ा है, जो निवेशकों के बढ़ते भरोसे को दर्शाता है। बाजार में पहले से ही अटकलें लगाई जा रही थीं कि रिलायंस अपनी डिजिटल और रिटेल इकाइयों को सूचीबद्ध करने की दिशा में कदम बढ़ा सकती है। यह कदम न केवल निवेशकों को नए अवसर देगा बल्कि कंपनी को भी पूंजी जुटाने में मदद करेगा जिससे वह भविष्य की परियोजनाओं और विस्तार योजनाओं को गति दे सकेगी।


जियो और रिटेल रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत बनकर उभरे हैं। जियो ने दूरसंचार क्षेत्र में सस्ती सेवाओं और डिजिटल कनेक्टिविटी के माध्यम से करोड़ों ग्राहकों को जोड़ा है। दूसरी ओर रिलायंस रिटेल देश के हर छोटे-बड़े शहर में अपनी उपस्थिति मजबूत कर चुकी है और अब वह ई-कॉमर्स और ओम्नी-चैनल रणनीति पर जोर दे रही है। इन दोनों व्यवसायों को अलग इकाई के रूप में सूचीबद्ध करना कंपनी के लिए वैल्यू अनलॉक करने का बड़ा कदम होगा।


विश्लेषकों का मानना है कि यदि जियो और रिटेल के आईपीओ लाए जाते हैं तो यह भारतीय शेयर बाजार के लिए अब तक के सबसे बड़े पब्लिक ऑफरिंग्स में से एक हो सकते हैं। इससे न केवल घरेलू बल्कि वैश्विक निवेशकों की भी बड़ी दिलचस्पी देखने को मिलेगी। साथ ही, यह कदम भारत की डिजिटल और रिटेल अर्थव्यवस्था की क्षमता को वैश्विक मंच पर और मजबूत करेगा।


भविष्य की दृष्टि से देखा जाए तो रिलायंस की यह रणनीति दीर्घकालिक विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। कंपनी अपनी ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल इकाइयों से आगे बढ़कर अब टेक्नोलॉजी, रिटेल और ग्रीन एनर्जी पर ध्यान केंद्रित कर रही है। जियो और रिटेल के आईपीओ से जुटाई गई पूंजी नए प्रोजेक्ट्स और तकनीकी नवाचारों में निवेश के लिए इस्तेमाल हो सकती है। निवेशकों और ग्राहकों, दोनों के लिए यह नया अध्याय बड़े बदलावों का संकेत है।