होर्मुज स्ट्रेट: वैश्विक तेल सप्लाई का गेटवे, जिसे ईरान कर सकता है बंद
होर्मुज स्ट्रेट क्या है? यह सवाल वर्तमान में पूरी दुनिया में चर्चा का विषय है, क्योंकि ईरान ने संकेत दिए हैं कि वह इस बेहद महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग को बंद कर सकता है। यह वह मार्ग है, जिससे पूरी दुनिया में तेल और गैस की सप्लाई होती है, खासकर अरब देशों से लेकर चीन तक।
होर्मुज स्ट्रेट का स्थान और महत्त्व
होर्मुज स्ट्रेट अरब सागर और फारस की खाड़ी को जोड़ने वाला एक छोटा सा समुद्री मार्ग है। यह लगभग 39 किलोमीटर चौड़ा है और विश्व का सबसे व्यस्त समुद्री रूट है। अरब देश जैसे सऊदी अरब, कुवैत, कतर, इराक और संयुक्त अरब अमीरात अपने कच्चे तेल का अधिकांश हिस्सा इसी रूट से विश्वभर में सप्लाई करते हैं।
विश्व अर्थव्यवस्था में भूमिका
दुनिया का लगभग 20% कच्चा तेल और चीन की 90% तेल सप्लाई होर्मुज स्ट्रेट से होकर गुजरती है। अगर यह रूट अवरुद्ध हुआ तो वैश्विक तेल बाजार में भारी उतार-चढ़ाव और कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त वृद्धि हो सकती है।
ईरान का रुख और वैश्विक तनाव
ईरान लंबे समय से होर्मुज स्ट्रेट को एक हथियार के तौर पर उपयोग करने की धमकी देता रहा है। अगर वह इसे बंद कर देता है तो इससे पूरी दुनिया में तेल आपूर्ति प्रभावित होगी और बाजार में दहशत फैल सकती है।
10 सवालों के जवाब
-
होर्मुज स्ट्रेट कहां है?
ईरान और ओमान के बीच अरब सागर में। -
क्यों है यह अहम?
दुनिया का 20% तेल इसी रूट से गुजरता है। -
चीन की कितनी सप्लाई आती है?
चीन की लगभग 90% तेल सप्लाई होर्मुज से होकर आती है। -
कौन सी खाड़ियाँ जुड़ती हैं?
फारस की खाड़ी और अरब सागर को जोड़ने का एकमात्र मार्ग है। -
ईरान क्यों बंद कर सकता है?
अंतर्राष्ट्रीय दबाव या युद्ध जैसे हालात में ईरान इसे हथियार की तरह उपयोग कर सकता है। -
कौन प्रभावित होगा?
चीन, भारत, जापान, यूरोप और अमेरिका जैसे सभी बड़े तेल उपभोक्ता देश। -
क्या यह पहला मौका है?
ईरान पहले भी कई बार इसे बंद करने की धमकी दे चुका है। -
समुद्री सुरक्षा कौन करता है?
अमेरिका और उसके सहयोगी देश इस रूट की निगरानी करते रहते हैं। -
क्या विकल्प मौजूद है?
होर्मुज स्ट्रेट का कोई सीधा विकल्प नहीं है, हालांकि पाइपलाइनों का सहारा लिया जाता है। -
क्या होगा अगर यह रूट ब्लॉक हुआ?
तेल की सप्लाई रुकने से विश्वभर में महंगाई और ईंधन संकट फैल सकता है।
होर्मुज स्ट्रेट केवल एक समुद्री मार्ग नहीं है, यह वैश्विक अर्थव्यवस्था की लाइफलाइन है। अगर यह रूट बाधित होता है तो इसका सीधा असर तेल की आपूर्ति, महंगाई और जियोपॉलिटिक्स में देखा जाएगा। विश्वभर में सभी की निगाहें इसी रूट और ईरान की नीति पर टिकी रहती हैं।