ब्याज दरों में बढ़ोतरी: होम लोन धारकों पर बढ़ता बोझ
ब्याज दरों में बढ़ोतरी का होम लोन पर असर
हाल ही में बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की गई है, जिसका सीधा असर होम लोन धारकों पर पड़ रहा है। ब्याज दरों में बदलाव का मकसद आमतौर पर महंगाई पर काबू पाना होता है, लेकिन इसका प्रभाव लोन लेने वालों पर आर्थिक दबाव के रूप में महसूस होता है।
ब्याज दरें बढ़ने से होम लोन की EMI (मासिक किस्त) बढ़ जाती है। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी ने 20 लाख रुपये का होम लोन 7% ब्याज दर पर 20 साल की अवधि के लिए लिया था, तो उसकी मासिक EMI लगभग 15,500 रुपये होती थी। लेकिन ब्याज दर 8% होने पर यही EMI करीब 16,700 रुपये तक बढ़ सकती है। यह बढ़ोतरी होम लोन धारकों के मासिक बजट पर असर डालती है।
जो लोग पहले से होम लोन चुका रहे हैं, उनके लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी का अर्थ है या तो उनकी EMI में इज़ाफ़ा होगा या फिर लोन की अवधि बढ़ा दी जाएगी। अधिकतर बैंक ग्राहकों को EMI बढ़ाने का विकल्प देते हैं ताकि लोन की अवधि ज्यादा न बढ़े। हालांकि, इससे मासिक खर्च पर दबाव बढ़ सकता है।
नए होम लोन लेने वालों के लिए भी यह समय थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। उच्च ब्याज दरों के कारण अब उन्हें पहले की तुलना में ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा। ऐसे में होम लोन लेते समय बैंकों की तुलना करना और कम ब्याज दर वाला विकल्प चुनना फायदेमंद हो सकता है।
इस स्थिति में वित्तीय विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि मौजूदा होम लोन धारक अपने बैंक से बात कर के ब्याज दरें फिक्स कराने का विकल्प चुन सकते हैं। इसके अलावा, यदि आय में वृद्धि हुई हो तो आंशिक प्री-पेमेंट करके लोन के बोझ को कम किया जा सकता है।
अंततः, ब्याज दरों में बढ़ोतरी से होम लोन लेने वालों को सतर्क रहना चाहिए और अपने बजट का सही प्रबंधन करना जरूरी है ताकि आर्थिक संतुलन बना रहे.