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स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि ₹37,600 करोड़ तक पहुँची: 2023 से तीन गुना बढ़त, क्या ये काला धन है?

2024 के अंत में जारी आंकड़ों के अनुसार, स्विस बैंकों में भारतीयों का कुल जमा पैसा ₹37,600 करोड़ (लगभग 4.3 बिलियन स्विस फ्रैंक) तक पहुँच गया। यह 2023 की तुलना में तीन गुना अधिक है। यह अचानक बढ़ोतरी कई वजहों से हो सकती है जिनमें व्यापारिक गतिविधियों में इज़ाफ़ा, विदेशी निवेश में बढ़ोतरी और कंपनियों के खाते शामिल हैं।


क्या यह पैसा काला धन है?

सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या यह धन अवैध है। विशेषज्ञों के अनुसार, स्विस बैंक में जमा हर पैसा काला धन नहीं होता। पिछले कुछ वर्षों में भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच कर सूचनाओं के आदान-प्रदान पर समझौते हुए हैं। ऐसे में स्विस बैंक में जमा नई पूँजी का बड़ा हिस्सा घोषित और टैक्स-सम्बंधित हो सकता है।


स्विस बैंक किस तरह की जानकारी भारत सरकार को देता है?

2018 से भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच ऑटोमेटिक एक्सचेंज ऑफ इन्फॉर्मेशन (AEOI) समझौता लागू है। इसके तहत दोनों देश हर साल खातों से जुड़ी जानकारी साझा करते हैं। अगर किसी भारतीय के खाते में जमा राशि टैक्स चोरी से जुड़ी होगी, तो उस पर कार्रवाई हो सकती है।


किस तरह के खाताधारक यह रकम जमा कर रहे हैं?

स्विस बैंकों में जमा राशि में सिर्फ व्यक्तिगत खाताधारकों का पैसा शामिल नहीं होता। इसमें भारतीय कंपनियों, विदेशी ब्रांचों, ट्रस्टों और वित्तीय संस्थानों के खाते भी शामिल होते हैं।


क्या व्यापार और विदेशी निवेश इसका कारण हो सकते हैं?

हां, वैश्विक व्यापार, विदेशी निवेश और विदेशी मुद्रा प्रबंधन नियमों में ढील का भी बड़ा प्रभाव है। भारतीय कंपनियों द्वारा अंतरराष्ट्रीय व्यापार लेन-देन और स्विस बैंकों के भरोसेमंद तंत्र के चलते यह जमा रकम बढ़ी है।


क्या सरकार इस बढ़ती जमा राशि पर नजर रख रही है?

भारत सरकार और इनकम टैक्स विभाग स्विस बैंकों में जमा भारतीय खातों की जानकारी पर कड़ी नजर रखते हैं। पिछले सालों में टैक्स चोरी से जुड़े कई मामलों में नोटिस जारी किए गए हैं।


आगे क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

सरकार स्विस बैंकों से मिली जानकारी का विश्लेषण कर जांच एजेंसियों के जरिए कार्रवाई कर सकती है। साथ ही, टैक्स नियमों को और सख्त किया जा सकता है ताकि काले धन पर नकेल कसी जा सके।