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कर्नाटक में 200 रुपए में मूवी टिकट का सपना टूटा: हाईकोर्ट ने सरकारी आदेश पर लगाई रोक

कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें मल्टीप्लेक्स में मूवी टिकट की कीमत 200 रुपए तय की गई थी। यह फैसला मल्टीप्लेक्स मालिकों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए लिया गया, जिन्होंने इस नियम को "भेदभावपूर्ण और अनुचित" बताया था। मल्टीप्लेक्स मालिकों का तर्क था कि सरकार का यह फैसला उनकी व्यापारिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है और सिनेमा उद्योग के विकास में बाधा डालता है।


2017 में, कर्नाटक सरकार ने एक नियम लागू किया था जिसमें कहा गया था कि राज्य के सभी सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्स में मूवी टिकट का अधिकतम मूल्य 200 रुपए होगा। इस नियम का उद्देश्य आम जनता के लिए फिल्म देखना सस्ता और सुलभ बनाना था। सरकार का मानना था कि मल्टीप्लेक्स में टिकटों की ऊँची कीमतें कई लोगों को फिल्म देखने से रोकती हैं। यह नियम कर्नाटक फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स की सिफारिशों के बाद बनाया गया था, जिसने कन्नड़ फिल्म उद्योग को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाने का सुझाव दिया था।


हालांकि, मल्टीप्लेक्स मालिकों ने इस नियम का कड़ा विरोध किया। उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि यह नियम उनकी व्यावसायिक रणनीति को बाधित करता है। उनका तर्क था कि टिकटों की कीमतें अलग-अलग शो के समय, दिन और फिल्म की लोकप्रियता के आधार पर तय की जाती हैं। वे यह भी तर्क देते थे कि मल्टीप्लेक्स में दी जाने वाली सुविधाएं, जैसे कि बेहतर साउंड सिस्टम, आरामदायक सीटें और वातानुकूलन, सामान्य सिनेमाघरों की तुलना में अधिक होती हैं, और इसलिए उनकी टिकटों की कीमतें भी अधिक होनी चाहिए।


कर्नाटक हाईकोर्ट ने मल्टीप्लेक्स मालिकों की दलीलों को सुना और पाया कि सरकार का यह आदेश उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यापार की कीमत तय करना सरकार का काम नहीं है, खासकर जब यह व्यापारिक प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करता हो। कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि क्या सरकार ने अन्य मनोरंजन क्षेत्रों, जैसे कि कॉन्सर्ट या नाटक के टिकट की कीमतें तय करने के लिए भी ऐसे नियम बनाए हैं।


इस फैसले के बाद, मल्टीप्लेक्स मालिक अब अपनी इच्छानुसार टिकट की कीमतें तय करने के लिए स्वतंत्र हैं, जबकि राज्य सरकार के पास इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का विकल्प मौजूद है। इस पूरे मामले ने सिनेमा उद्योग और सरकार के बीच मूल्य निर्धारण की नीतियों को लेकर चल रही बहस को फिर से उजागर कर दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार आगे क्या कदम उठाती है और क्या यह मुद्दा फिर से कानूनी लड़ाई का रूप लेता है। इस फैसले का सीधा असर कर्नाटक के फिल्म प्रेमियों पर पड़ेगा, जिन्हें अब फिर से ऊंची कीमत पर टिकट खरीदना पड़ सकता है।